आदिवासी समाज ने मनाई विश्व मूलनिवासी आदिवासी दिवस
पंकज यदु कांकेर -संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित विश्व मूलनिवासी (आदिवासी) दिवस का आयोजन ब्लॉक चारामा के सर्व आदिवासी समाज द्वारा बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया गया। इस मौके पर आदिवासी समाज के प्रमुखों सहित बड़ी संख्या में समाज के लोग एकत्रित हुए और इस खास दिन को हर्षोल्लास के साथ मनाया।
समारोह की शुरुआत गोंडवाना धाम, जैसाकर्रा में हुई, जहां सभी समाज प्रमुखों ने एकत्रित होकर प्रकृति शक्ति बूढ़ादेव और मां दंतेश्वरी की पूजा-अर्चना की। इस मौके पर विशेष सेवा अर्जी और विनती भी की गई, जिसमें समाज की खुशहाली और उन्नति की कामना की गई।
पूजा-अर्चना के बाद एक भव्य रैली का आयोजन किया गया, जो गोंडवाना धाम से प्रारंभ होकर चारामा के बस स्टैंड तक पहुंची। रैली में शामिल आदिवासी समाज के लोगों ने पारंपरिक वेशभूषा में सजधज कर और आदिवासी गीतों के साथ उत्साहपूर्वक भाग लिया। बस स्टैंड चारामा में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया। इसके बाद रैली ने पोटाई चौक की ओर रुख किया, जहां ठाकुर रामप्रसाद पोटाई और धरती आबा बिरसा मुंडा की मूर्तियों पर भी माल्यार्पण किया गया और उनकी सेवा अर्जी विनती की गई।
इस अवसर पर आयोजित सभा में आदिवासी समाज के प्रमुखों ने अपनी बात रखते हुए विश्व आदिवासी दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह दिवस आदिवासी समाज की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को संजोने और आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। साथ ही उन्होंने समाज के विकास और उत्थान के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
विश्व आदिवासी दिवस का यह उत्सव केवल चारामा तक ही सीमित नहीं रहा। आसपास के सभी ग्रामों में भी यह दिवस जोर-शोर से मनाया गया। ग्रामवासियों ने अपनी-अपनी तरह से इस अवसर को मनाते हुए आदिवासी समाज की एकजुटता और सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का संदेश दिया।
इस अवसर पर उपस्थित लोगों में खासा उत्साह देखा गया और यह दिवस उनके लिए गर्व का प्रतीक बन गया। आदिवासी समाज ने अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों और मान्यताओं के अनुसार इस दिन को मनाते हुए समाज की एकता और अखंडता का संदेश दिया।