चारामा आंचल के स्वतंत्रता सेनानी स्व. मंशाराम साहू: विदेशी वस्त्र बहिष्कार के प्रतीक और संघर्ष की अमिट कहानी
चारामा अंचल के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी स्व मंशाराम साहू जी ने चलाया था विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए आंदोलन,अंग्रेजी हुकूमत ने सुनाई थी तीन माह की सजा,आर्थिक तंगी के कारण अर्थदण्ड की राशि जमा नही करने पर अंग्रेजों ने सजा की अवधि डेढ़ माह और बढ़ाई,स्वतंत्रता दिवस पर विशेष-पढ़िए उनका संक्षिप्त परिचय
चारामा अंचल के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व मंशा राम जी साहू का जन्म सन 1902 में हुआ था । वे एक बहुत ही साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे । उनके पिता रामनाथ साहू एवं माता कंचन साहू थी । जो एक साधारण कृषक थे । इसी परिवार में पुत्र संतान के रुप में जन्मे मंशा राम जी आगे चलकर अंग्रेजों की गुलामी सह रहे भारत देश के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी के रुप में देश की धरोहर व गौरव बने । उन्होनें भारत देश में अंग्रेजों की सत्ता के दौरान सन 1932 में अन्य देशप्रेमियों के साथ मिलकर अहिंसात्मक आंदोलनों में हिस्सा लिया । और अपनी जान की परवाह न करते हुए उस समय की अंग्रेजी हुकूमत से जमकर लोहा लिया । उसी समय उन्होनें विदेशी कंपनियों के सामानों के बहिष्कार करने के लिए आन्दोलन किया ।जिसके आरोप में उन्हें अंग्रेजों की सरकार ने तीन महिने के कठिन कारावास की सजा सुनाई और बीस रुपये के अर्थदंड से दंडित भी किया । आर्थिक तंगी के चलते अर्थदंड की राशि जमा नहीं करने पर उन्हें डेढ़ महीने की अतिरिक्त सजा सुनाई गई । इस तरह से उन्हें लगभग साढ़े चार महिने के कठिन कारावास की सजा व अंग्रेजों की ज्यादती झेलनी पड़ी । कारावास की अवधि में उन्हें अंग्रेजों की पुलिस के द्वारा जारी की गई उनकी वर्दी और बिल्ला नंबर के अनुसार कैदी नंबर 1160 के नाम से जाना जाता था । कड़े संघर्षों व कईयों की संख्या में वीर सपूतों की जान गंवाने के उपरांत 15 अगस्त 1947 में देश को आजादी मिली । देश के आजाद होने के कई वर्षों के बाद चार मई 1972 को स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी के रुप में कार्य करने वाले मंशा राम साहू जी ने अपनी समस्या व आर्थिक स्थिति से अवगत कराते हुए जीविका चलाने हेतु सहायता प्रदान करने व स्वतंत्रता सेनानियों को प्रोत्साहित करने के लिए शासन को एक पत्र लिखा । जिसके बाद केंद्रीय शासन के द्वारा उक्त पत्र पर उल्लेखित उनकी समस्याओं को संज्ञान में लेते हुए स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों,शहीदों व उनके परिवारजनों के लिए पेंशन राशि की स्वीकृति प्रदान की गई । 15 अगस्त 1973 को स्वतंत्रता दिवस की 25वीं वर्षगाँठ के अवसर पर मध्य प्रदेश के तत्कालिन मुख्यमंत्री श्री प्रकाश चन्द सेठी जी के द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में स्मरणीय योगदान के लिए राज्य की ओर से उन्हें प्रशस्ति पत्र भेंट कर राजधानी भोपाल में सम्मानित किया गया ।