आईपीसी की जगह अब होगी भारतीय न्याय संहिता, 20 नए अपराध शामिल, नवीन कानूनों पर किया गया परिचर्चा
पंकज यदु कांकेर – पूरे देश में 01 जुलाई से नवीन न्याय संहिता लागू होने जा रही है, जिसमें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम शामिल हैं।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मनीषा ठाकुर ने बताया कि भारतीय दंड संहिता 1860 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता 2023 को अधिसूचित किया गया है। भारतीय दण्ड संहिता की 511 धाराओं के स्थान पर अब 358 धाराएं हैं तथा 23 अध्याय के स्थान पर 20 अध्याय हैं। इसका प्रमुख उद्देश्य औपनिवेशिक कानूनों में बदलाव, नागरिक केन्द्रित एवं कल्याणकारी अवधारणा, प्राथमिकता का निर्माण, महिला सुरक्षा एवं न्याय, आतंकवाद, संगठित अपराध एवं भारत की सम्प्रभुता, एकता एवं अखण्डता के विरूद्ध अपराध, पीड़ित केन्द्रित कानून प्रावधान, अनुसंधान में वैज्ञानिक तकनीक, डिजीटल एवं इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के प्रावधान और न्यायालयीन प्रक्रिया से संबंधित प्रावधान हैं। दण्ड संहिता से न्याय संहिता की ओर अग्रसर करने के लिए भारतीय न्याय संहिता में 20 नए अपराध शामिल किए गए हैं और कुल 19 प्रावधान (08 अपराधों सहित) हटाए गए हैं। आईपीसी की धारा 53 में मृत्यु, आजीवन कारावास, कारावास (कठोर और सरल), संपत्ति की जब्ती और जुर्माना सहित पांच प्रावधान शामिल था। इसके साथ ही भारतीय न्याय संहिता में सामुदायिक सेवा को भी दण्ड के प्रकार के रूप में शामिल किया गया है। नए कानून में मॉब लिंचिंग द्वारा हत्या के अपराध पर अधिकतम मृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया है।
पुलिस अधीक्षक कार्यालय द्वारा जानकारी दी गई है कि भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 को अधिसूचित किया गया है, जिसमें 484 धाराओं के स्थान पर 531 धाराएं एवं 37 अध्याय के स्थान पर 39 अध्याय है। इसके तहत जीरो एफआईआर करने की प्रक्रिया लागू की गई है। साथ ही ई-एफआईआर दर्ज करने की शुरुआत की गई है। 07 वर्ष या इससे अधिक के दण्डनीय अपराध में साक्ष्य संग्रहण हेतु न्याय दल (एफएसएल टीम) की सहायता ली जाएगी। भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1972 के स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को अधिसूचित किया गया है, जिसमें 167 धाराओं के स्थान पर 170 धाराएं हैं एवं 11 अध्याय के स्थान पर 12 अध्याय है।